Header AD

Ticker

6/recent/ticker-posts

 रमेश और नन्ही मुर्गी  की कहानी    



                                                रामपुर गाँव मे एक लड़का रहता था। उसके मम्मी-पापा ने एक मुर्गीके छोटे बच्चे लाए थे। उनके एक  ही बच्चे थे। रमेश ,वो रमेश को बहुत प्यार करते थे। रमेश उस मुर्गी के नन्ही बच्ची के साथ खेला करता था। उसकी उम्र अभी लगभग 4 वर्ष था। वह मुर्गी के बच्चे के साथ ही  पला-बढ़ा उसने नन्ही मुर्गी का नाम तीतु रख दिया। वह उससे बहुत  प्यार करने लगा। बिल्कुल अपनी बहन की तरह । अब वह तीतु के बीना नही रह सकता था। अब तीतु भी बड़ी होने लगी।  अब रमेश की उम्र 7 वर्ष हो गई थी । वो लोग साथ-साथ खेलते ,खाते ,पीते रहते । रमेश का कोई भाई-बहन नहीं था। हाला की तीतु एक मुर्गी थी। लेकिन रमेश को अपने भाई समान  मानती थी। जब भी रमेश शाला जाता तो तीतु  के बीना सुना महसुस करता था। तीतु जब बड़ी हुई तो उसे खाने के लिए वो लोग उसका दाम पुछते थे।वह काफी बड़ी थी। लेकिन रमेश के माता-पिता उन्हें भगा देते। वो तीतु को अपनी बेटी मानते थे। क्यों कि रमेश के सीवा उनके और कोई बेटा या बेटी नहीं था। वो तीतु को कभी एहसास नहीं होने देते थे की वह एक मुर्गी की बच्ची है। उन्होने रमेश को ये बात नहीं बताई थी। की तीतु की माँ उसे छोड़कर दाना लेने गई थी। लेकिन साँप काट देने की वजन से उसकी माँ मर गई थी। जब किसी कारण से तीतु को यह बात पता चली तो तीतु अपने आप को अकेला समझने लगी। की उसकी माँ उसे छोड़के चली गई है। लेकिन जब रमेश को इस बात की खबर लगी तो उसने कहा । देखो बहन एक माँ चली गई तो क्या हूआ  अभी तुम्हारे दुसरे माता -पिता और भाई हैं। तीतु बहुत समझाने पर समझी तब वो लोग तीतु को कभी उदास नहीं करते थे। और वो लोग प्यार से रहते थे।उन्होंने तीतु को  तुम अकेली नही हो तुम्हारे साथ पुरा परिवार है। खुशी-खुशी वो लोग रहते और तीतु को अपने परिवार के सदस्य मानते थे। तीतु बहुत खुश थी । साथ -साथ ही  उनके माता-पिता और रमेश भी खुश थे।                   


                           धन्यवाद        


पुष्पेंद्र कुमार कश्यप 

प्राथमिक शाला सकरे ली  बा

Post a Comment

0 Comments