समावेशी शिक्षा
दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा में समान अवसर
समावेशी शिक्षा का आशय सामान्य शाला में सामान्य बच्चों के साथ विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की अध्ययन व्यवस्था से है इस योजना के मूल उद्देश्य से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का विद्यालयीन परिवेश में बिना किसी भेदभाव के समावेशन करना है शिक्षा बच्चों का मूल अधिकार है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में कम व मध्यम श्रेणी के दिव्यांगता वाले बच्चों को सामान्य पाठशालाओं में शिक्षा देने का प्रावधान निहित है।
समग्र शिक्षा में समावेशी शिक्षा का लक्ष्य
06 से 18 वर्ष के छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 63943 विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़कर, नियमित शाला में सामान्य बच्चों के साथ सामान्य अध्ययन द्वारा कक्षा में समाविष्ट कर, एक साथ समान अवसर देकर, गुणवत्ता युक्त शिक्षा हेतु अवसर उपलब्ध करवाना है शिक्षा के साथ समुदाय को भी दिव्यांग बच्चों की शिक्षा हेतु जागरूक करना एवं भागीदारी सुनिश्चित करना
*दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा में सम्मान अवसर हेतु रणनीति*
(1) समस्त विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का विद्यालय में नामांकन एवं ठहराव सुनिश्चित करते हुए समस्त प्रकार के बाधाओं से मुक्त रखना।
(2) नियम वह अधिनियम की जानकारी दिव्यांगों तक पहुंचाना।
(3) विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के शैक्षिक विकास हेतु विशेष शिक्षकों की संख्या में वृद्धि करना।
(4) विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के शिक्षण कौशल में अपेक्षित वृद्धि हेतु शिक्षकों को प्रशिक्षित करना।
(5)सभी विकासखंडों में संसाधन से पूर्ण रिसोर्स सेंटर स्थापित करना, जो सभी दिव्यांग बच्चों का ध्यान में रखकर निर्मित किया जाए।
(6) विद्यालय में निम्नांकित किंतु अनियमित उपस्थिति अन्य कारणों से अपेक्षित दक्षता न कर पाने वाले बच्चों हेतु विशेष आवासीय प्रशिक्षण केंद्र की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
(7) हितग्राही बच्चों को शासन की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं से लाभान्वित करना।
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