ईमानदार लकड़हारा
बहुत पहले, छोटा सा गाव मे एक गरीब लकड़हारा रहता था। एक दिन जब वह लकड़ी काट रहा था, उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। "अरे नहीं! मैं कुल्हाड़ी के बिना कैसे काम करूंगा?" लकड़हारा सर पकड़कर रोने लगा।
अचानक एक जलपरी प्रकट हुई।
जलपरी ने सोने की कुल्हाड़ी दिखाते हुए पूछाः क्या ये आपका कुल्हाड़ी है? नहीं! लकड़हारे ने उत्तर दिया।
जलपरी ने चाँदी की कुल्हाड़ी दिखाते हुए पूछाः क्या ये आपका कुल्हाड़ी है? नहीं! लकड़हारे ने उत्तर दिया ।
जलपरी ने लकड़ी की कुल्हाड़ी दिखाते हुए पूछाः क्या ये आपका कुल्हाड़ी है? 'हाँ, हाँ' लकड़हारा चिल्लाया, लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी वापस पाकर बहुत खुश हुआ।
जलपरी ने लकड़हारे से कहा, तुम बहुत ईमानदार इंसान हो। मैं तुम से बहुत खुश हु इसलिए अब मैं तुम्हें सोने और चाँदी दोनों की कुल्हाड़ी दे रही हूँ. लकड़हारा दोनों कुल्हाड़ी लेकर बहुत खुश हुआ ।
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